हिन्दी या हिंदी? या फिर हिंदी या हिन्दी? यह चर्चा अक्सर देखने पढ़ने को मिलती है। आइये आज इस लेख में जानते हैं कि वास्तव में इस शब्द को लिखने का कौन सा तरीका सही है? आगे बढ़ने से पहले हम यह भी स्पष्ट करना चाहेंगे कि इस लेख में जो भी लिखा है वह विद्वानों के साथ हुई हमारी चर्चा पर आधारित है। हम किसी प्रकार से भी भाषा विशेषज्ञ नहीं हैं, हम केवल आप तक सुचना पहुँचाने का कार्य करते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि की लिए अग्रिम क्षमा।
हिन्दी या हिंदी? कैसे लिखना सही है?
किसी भी भाषा में किसी भी शब्द को कैसे लिखना है ये बहुत पेचीदा हो सकता है, पर हर भाषा में कुछ स्थापित तरीके होते हैं जिनके ज़रिये ये तय होता है की शब्दों को सही तरीके से कैसे लिखा जाए? इसमें प्रमुख हैं शब्द का उच्चारण, ध्वनि, प्रचलन, व्याकरण आदि। लिखने के तरीके को हम वर्तनी कहते हैं, ‘हिन्दी’ शब्द लिखने की भी दो प्रचलित वर्तनियाँ हैं। युगों से इसे ‘हिन्दी’ स्वरुप में लिखा जाता रहा है, पर आधुनिक समय में ‘हिंदी’ ने अपनी जगह बनाई है।
भारतीय भाषाएं विश्व की समृद्ध भाषाओँ में से एक हैं, फिर चाहे वह तमिल हो, मलयालम हो या हिन्दी हो या अन्य कोई भाषा। इसके विपरीत रोमन भाषाएँ, जैसे अंग्रेजी आदि लिखने पढ़ने में सुगम तो होती हैं, पर इनमे ज्यादा गहराई नहीं है क्योंकि इनमे न तो मात्राएँ हैं न ही 26 अल्फाबेट के अतिरिक्त कुछ और। वहीँ भारतीय भाषाएं स्वरों, व्यंजनों से परिपूर्ण और सटीक हैं।
अब वापस आते हैं मुख्य विषय पर कि ‘हिन्दी’ या ‘हिंदी’ में से सही क्या है? आइये इसको थोड़ा विस्तार से समझने के लिए निचे लिखे बिंदुओं को पढ़ते हैं:
‘हिन्दी’ शब्द :
‘हिन्दी’ शब्द को ही व्याकरण और ध्वनि के अनुसार सही माना गया है, देवनागरी में लिखे पौराणिक ग्रंथों और साहित्य रचनाओं में ‘हिन्दी’ ही लिखा मिलता है। पञ्चमाक्षर का सही प्रयोग कर लिखने पर ‘हिन्दी’ ही लिखावट में आता है। (बिंदु) और आधे (न) का उपयोग अलग अलग परिस्थितियों में होता है। जैसे ‘चंद्र’ और ‘चन्द्र’, ‘फंसना’ और ‘फँसना’, ‘नन्द’ और ‘नंद’ आदि में ध्वनि के अनुरूप शब्द और मात्राओं का प्रयोग हो रहा है।
‘हिंदी’ शब्द :
टाइपराइटर और कंप्यूटर के आगमन के साथ ही ‘हिंदी’ शब्द का प्रचलन बढ़ा क्योंकि इन यंत्रों में आधे अक्षर (जैसे ‘हिन्दी’ में आधा ‘न’ है ) लिखने की सुविधा नहीं थी। धीरे-धीरे ‘हिंदी’ शब्द लेखन और बोलचाल में पैठ जमाता चला गया। केंद्र सरकार के केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय ने नए वर्तनी मानकीकरण के तहत ‘हिंदी’ को तरजीह दी है इसलिए अब हमें अधिकतर जगह “हिन्दी” की बजाय “हिंदी” ही पढ़ने को मिलता है।
नए ब्लॉगर या लेखक क्या इस्तेमाल करें?
जैसे की आप हमारे ब्लॉग पर देख रहे हैं हमने अधिकांश जगहों पर ‘हिन्दी’ की बजाय ‘हिंदी’ शब्द इस्तेमाल किया है। ऐसे ही हमने अन्य मित्रों के ब्लॉगों पर भी यही पाया की ‘हिंदी’ शब्द का प्रयोग ज्यादा है। पर इसका अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि केवल यही स्वरुप सही है।
इस मामले में भाषाई विशेषज्ञों कि राय बिलकुल भिन्न है, उनके अनुसार लिखने में कठिनाई के चलते या ज्यादा प्रचलन में आने की वजह से यदि सरकारी मानक बदल गए हों तो हम भी उन्हें अंतिम मान लें ऐसा आवश्यक नहीं है। ध्वनि और स्वरों को नज़रअंदाज़ कर प्रचलन के अनुरूप भाषा के मानक तय नहीं होने चाहियें। इससे भाषा कि समृद्धि पर कुठाराघात होता है और भविष्य में कुछ ध्वनियाँ लुप्त होने तक का ख़तरा होगा।
लेखन में आसानी के साथ-साथ भाषाई गुणवत्ता का भी ध्यान रखना चाहिए, किसी भी कीमत पर हिंदी जैसी गहरी भाषा का तनुकरण नहीं होना चाहिए। साथ ही हम तो यही कामना करते हैं की सरकार भाषाई शोध और विकास पर ध्यान दे, पर भाषा की समृद्धि को यथावत रखे।
जिन लेखकों को पुस्तक छपाई करवानी हो उन्हें ‘हिन्दी’ का ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि ब्लॉग या वेबसाइट पर तो एकबार को भविष्य में बदलाव हो भी सकता है परन्तु एक बार छप जाने के बाद पुस्तक में वह संभव नहीं।
सार:
तकनिकी कारणों से हमें हमारे ब्लॉग पर ‘हिंदी’ लिखना पड़ता है, पर हम इस बात के मजबूत पक्षधर हैं की भाषा के मूल स्वरुप से छेड़छाड़ न की जाए। हम पहले ही बहुत सी स्थानीय बोलियों को खो चुके हैं, कहीं ऐसा न हो की ध्वनियों को खोने से शुरू हुई गतिविधियां भविष्य में भाषा को भी खोखला कर नष्ट कर दें।
आशा है की कंप्यूटर ज्ञान से लैश नवयुवा हिन्दी या हिंदी? जैसी महीन बातों पर ध्यान देंगे और कोशिश करेंगे की भाषा के अनुरूप कंप्यूटर और जुड़ी हुई टेक्नोलॉजी में बदलाव हो ना की इसके उलट। आज के समय में इनपुट साधनों के विकास के चलते हिंदी की वर्तनी से जुड़ी कोई लेखन सम्बंधित चुनौती भी नहीं रह गई है।
साथ ही आशा है कि जिस गति से तकनीक का विकास हो रहा है, आने वाले समय में Voice-To-Text का इस्तेमाल बढ़ेगा। जो आप बोलेंगे वह स्वतः टाइप हो जाया करेगा, ऐसे में ध्वनियों पर पुनः जोर दिया जायेगा और मानकों में भी बदलाव की सम्भावना बन सकती हैं।
फ़िलहाल आप अपने ब्लॉग पर आसानी से हिंदी में कैसे टाइपिंग करें? यह जानने के लिए इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं।
We learned about the right way to type word ‘Hindi’ in modern era language input tools, the correct script to be used should be as per expert’s opinion and standards set by the language authorities.
“तकनिकी कारणों से हमें हमारे ब्लॉग पर ‘हिंदी’ लिखना पड़ता है”
पर आधा “न” लिखना इतना भी कठिन नहीं है? बाकी शब्दों में भी तो आप आधे अक्षर लिख ही रहे हो ना, तोह फिर “हिन्दी” लिखने में कैसी “तकनिकी” कठिनाई आ रही है?
अभिजीत जी, आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करता हूं।
गूगल एल्गोरिथम सर्च परिणामों में ‘हिंदी’ को ही स्थान देता है। ‘हिन्दी’ लिखने से खोज परिणामों से इस वेबसाइट के लेख या तो दिखेंगे ही नहीं या फिर उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।
जहाँ तक लिखने का प्रश्न है उसमे कोई तकनीकी समस्या नहीं है। जब गूगल अपडेट होगा तब हम इस वेबसाइट स जहाँ भी ‘हिंदी’ लिखा है उसे ‘हिन्दी’ में परिवर्तित कर देंगे।
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी बहुत असमंजस में थे क्या सही है और क्या गलत आज पूरी तरह से निश्चिंत हो गए। ईश्वर आपको हमेशा खुश रखें, और इसी तरह सभी लोग की समस्या को दूर करते रहें । आप हमेशा खुश रहें धन्यवाद ।
भाषा का विशेष ख्याल हमने iss website पर देखा है। जो हमारी संस्कृति को आगे ले जा रही हैं।
अक्सर हमारे मन में ये द्वंद रहता था कि ‘हिन्दी’ और ‘हिंदी’ में क्या अंतर है और इनमें से कौन सही है, भी तक तो हम जो कीबोर्ड के माध्यम से लिख जाता उसे ही प्रयोग करते या रहे थे, लेकिन अब इनका सही तरीके से प्रयोग करेंगे, हमें इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद 🙂